आओ आज उस माँ की पुकार हम सुनलें।
जिसने बेटी को जन्म दिया उसकी आह हम सुनलें ।
फुलों की तरह उसने अपनी राजकुमारी को पाला ।
अपने प्रेम के आँचल में उसको सम्भाला ।
आज उसकी टूटते दिल की आवाज़ हम सुनलें ।
आओ आज उस माँ की पुकार हम सुनलें ।।
न जाने उसकी बेटी की हँसी कहा गुम गयी ।
तेज़ाब,बलात्कार, अत्याचार क्या क्या वो सह गयी।
आज उसकी सुनी गोद का अंधकार हम देख लें।
आओ आज उस माँ की पुकार हम सुनलें।।
अगर आज कुछ ना किया तो हर माँ रोएगी ।
हम सब की इंसानियत खोखली कहलायेगी।
आओ इन हैवानो का अंत हम सब मिलकर लिख दे ।
उस रोती हुई माँ की पुकार, हम सब आज सुन लें।।
– सोभालिशा पंडा
Good poyem
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Thanks 😊
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